Facebook Operates by political parties in India
फेस्बूक (Facebook) पर आज कल गंभीर आरोप लगाए जा रहे है,कई कई देशों की कंपनियों ने तो फेसबुक को विज्ञापन देने को भी माना कर दिया है जैसे कि अमरीका की।
लोग आज कल फेस्बूक की विसवशनीयता पे भी सवाल उठा रहे है। इसका कारण है अमेरीकन अखबार The Wall Street Journal ने अपने इन्वैस्टिगेशन मे पाया की फेस्बूक हेट स्पीच वाली पोस्ट हटाने मे दोहरा रवैया अपनाता है। वह अपनी खुदकी पॉलिसी का पालन नहीं कर रहा। जिसमे T.Raja Singh जैसे पॉलिटिशन ने रोहींगिया मुस्लिम के बारे की गई टिप्पणी का एक एक्जाम्पल पेस किया था, उसमे उनहो बताया की फेस्बूक ने T.Raja Singh की वह पोस्ट फेस्बूक पॉलिसी का उल्लंघन करती है फिर भी फेस्बूक ने उसे हटाया नहीं था।
फेस्बूक के स्पोक पर्सन Andy Stone, का The Wall Street Journal की इस रिपोर्ट पे बयान आया की इसके बारे मे उनको Ankhi Das जो की Facebook -India, South & Central Asia की Public Policy Director उनहो ने हमे ऐसी ही एक पोस्ट हटाने पे बताया था की मोदी की पार्टी या उनसे जुड़े लोगो की फेस्बूक से पोस्ट डिलीट करना या उनका अकाउंट बेन करना फेस्बूक के बिसनेस पे असर करेगा, पॉलिटिकल Blow Back होगा जो काफी गहरा होगा (facebook का काफी नुकसान))। यानि की फेस्बूक गवर्नमेंट के दबाव मे काम करता है ?? अधिक माहिती देते हुआ स्पोके पर्सन ने यह भी कहा था की पोस्ट डिलीट न करने का कोई अन्य कारण भी हो सकते है।
और तो और The Wall Street Journal ने फेस्बूक के फॉर्मर एम्प्लोयी से से बात करने से और बाद मे उन्हे कोट करते हुआ बताया की कैसे फेस्बूक ने कुुचहेट स्पीचस को और कैसे प्रोगोवरमेंट एलीमेंट्स को जगह दी है।
यानी कि फेसबुक उस टाइप के कंटेंट को कैसे पेजेस, ग्रुुप में ऑटोमैटिक शेयर होने के लिए हाईलाइट करती है, उसके लिए फेसबुक स्पेशल एल्गोरिथम का भी उपयोग करती होगी, जिस से उस टाइप की इंफॉर्मेशन का स्प्रेडिंग जायदा से ज्यादा होने के लिए आगे आए ।
The Wall Street Journal की इस रिपोर्ट से देश विदेश मे हँगामा हो गया है क्योकी सोसियल मीडिया मे इस तरह के अजेंडा से डेमॉक्रसि पे सवाल उठ रहे है?
ऐसी पोस्टों को बढ़ावा देना जो कि हकीकत में देश मे माहौल बिगड़ शकता है और बड़े पैमाने पर जनसंघर्ष के लिए जिमेदार ऐसी पोस्ट को डिलीट न करके फेसबुक बस अपना बिजनेस फायदा देख रहा है। इंडिया में फेसबुक के अन्य देशों के मुकाबले में ज्यादा यूज़र्स है और BJP की राइवल पार्टी कोंग्रेस से करीब 3 गुना ज्यादा यानी कि 15 मिलियन यूजर फॉलोवर्स है। ऐसे में अगर इनका कोई प्रवक्ता कुछ गलत चीजे शेयर करता है तो वह देश भर में कितनी जल्द फैल जाएंगी इसका अंदाजा आप लगा शकते है।
फेसबुक गोपनीयता घोटाले में निसने पे रही कैम्ब्रिज एनालिटिका के व्हिसलब्लोअर क्रिस्टोफर वायली ने ब्रिटिश सांसदों को बताया था की कि उनकी कंपनी ने भारत में बड़े पैमाने पर काम किया और "कांग्रेस" भी क्षेत्रीय स्तर पर एक ग्राहक थी, ऐसा उनका मानना था।
अगर फेस्बूक अपना बिजनेस फाइदा ही देखता है फिर तो जिस पास पार्टी ज्यादा पैसा है वो आराम से इलैक्शन जीत सकता है, इसलिए अगर इलैक्शन होता है तो क्या फैर इलैक्शन हुआ कहलाएगा। क्यो की ऐसी सोश्ल मीडिया स्ट्रेटजी केवल एक पार्टी या समुदाय को फाइदा पहुचाती है। इसलिए लोकतंत्र पे सवाल उठ रहे है,
इसीलिए हमारे जीवन से जुड़ी और बड़े प्रभावों डालने वाली सोश्ल मीडिया के गलत प्रभावों से कैसे बचा जाए, कैसी पॉलिसी या बनाए जाए, जो एक लोकतात्रिक देश में निष्पक्ष काम करे, उसपे भारत के नेताओ को और सोसियाल मीडिया वेबसाइट्स को सोचना चाहिए।
इसी विषय को विडियो के माध्यम से जानने के लिए :
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें